डीआर काँगो में बच्चों के खिलाफ भयावह यौन अपराध
- UNICEF का खुलासा: युद्ध में यौन हिंसा का बना हथियार
- हर आधे घंटे में एक बच्चा यौन हिंसा का शिकार
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यूनीसेफ़ की अपील
- सहायता धन की कमी और बच्चों का संकट
न्याय और सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई ज़रूरी
डीआर काँगो में बच्चों के विरुद्ध सुनियोजित यौन हिंसा के मामलों में भारी वृद्धि हुई है। UNICEF ने इसे युद्ध में इस्तेमाल हो रहे हथियार जैसा बताया है। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर![]() |
Horrific sex crimes against children in DR Congo |
डीआर काँगो: बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा को, सुनियोजित ढंग से दिया गया अंजाम
11 अप्रैल 2025 शान्ति और सुरक्षाकाँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) के पूर्वी हिस्से में बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा बेहद चिन्ताजनक स्तर पर पहुँच गई है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के अनुसार, पिछले दो महीनों में हज़ारों ऐसे नए मामले सामने आए हैं.
यूनीसेफ़ ने कहा है कि ये साक्ष्य दर्शाते हैं कि यौन हिंसा को व्यवस्थागत ढंग से युद्ध के एक हथियार और आतंकित करने की सोची-समझी चाल के रूप में इस्तेमाल में लाया जा रहा है.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने शुक्रवार को गोमा से वीडियो लिंक के ज़रिये जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि जनवरी और फ़रवरी महीनों में बलात्कार व यौन हिंसा के क़रीब 10 हज़ार मामले सामने आए हैं. इनमें 45 फ़ीसदी मामलों में पीड़ित बच्चे हैं.
खनिज सम्पदा से परिपूर्ण पूर्वी डीआरसी में, रवांडा द्वारा समर्थित एम23 लड़ाकों और डीआरसी के सरकारी बलों में तनाव चरम पर है और बड़ी संख्या में अन्य हथियारबन्द गुट भी सक्रिय हैं.
उन्होंने कहा कि यह एक भयावह वास्तविकता को बयाँ करता है – हर आधे घंटे में एक बच्चे का बलात्कार किया गया.
“हम यहाँ छिटपुट मामलों की बात नहीं कर रहे हैं. हम एक व्यवस्थागत संकट की बात कर रहे हैं. हम देख रहे हैं कि बहुत कम उम्र के बच्चे भी इससे गुज़रे हैं. यह युद्ध का एक हथियार है और आतंक की एक सोची-समझी चाल है.” यह परिवारों व समुदायों को बर्बाद करती है.
यौन हिंसा का प्रकोप
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने सचेत किया कि यह संकट, इन आँकड़ों से कहीं अधिक बड़ा है. कथित कलंक, भय, और असुरक्षा की वजह से अनेक मामले सामने नहीं आ पाते हैं, जिससे यौन हिंसा का यह प्रकोप छिपा हुआ है.
उनके अनुसार, यह स्थिति हम सभी को भीतर तक झकझोर देने वाली है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तुरन्त हस्तपेक्ष किए जाने की अपील की है.
जेम्स ऐल्डर ने कहा कि हमें अतिरिक्त रोकथाम प्रयासों, पीड़ितों के लिए सेवाओं, अपने साथ हुई हिंसा को बताने के लिए सुरक्षापूर्ण माहौल को तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि बिना किसी भय के ऐसे मामलों की जानकारी दी जा सके.
पीड़ितों को देखना होगा कि दुनिया उनके साथ खड़ी हुई है और आँखें नहीं फेरी गई हैं. साथ ही, दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना होगा.
दीर्घकालिक नतीजे
यूनीसेफ़ के अनुसार, डीआरसी के पूर्वी हिस्से में हालात गम्भीर हैं और सहायता धनराशि के अभाव से ज़रूरतमन्दों के लिए मेडिकल देखभाल, मनोवैज्ञैनिक समर्थन व क़ानूनी सहायता पर असर हो रहा है.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने कहा कि यदि इन कटौतियों को वापिस नहीं लिया गया तो अगले कुछ महीनों में क़रीब ढाई लाख बच्चे लिंग-आधारित हिंसा व सशस्त्र टकराव में संरक्षण पर आधारित सेवाओं से वंचित रह जाएंगे.
वित्तीय समर्थन में संकट का असर तात्कालिक सेवाओं से इतर भी है. एक अनुमान के अनुसार, डीआरसी में 2026 में एक लाख बच्चे ख़सरा से बचाव के लिए जीवनरक्षक वैक्सीन के दायरे से बाहर हो सकते हैं.
20 लाख बच्चों की कुपोषण के लिए जाँच नहीं होगी, और क़रीब पाँच लाख के पास पीने के लिए स्वच्छ जल नहीं होगा.
यूनीसेफ़ के अनुसार हाथ पर हाथ धरकर बैठने की क़ीमत, गहरी पीड़ा व खोए हुए भविष्यों से चुकानी होगी जबकि इसे रोका जा सकता है.
During the most intense phase of conflict in eastern Democratic Republic of the Congo, a child was raped every 30 minutes.
— United Nations Geneva (@UNGeneva) April 11, 2025
"The rate of sexual violence against children has never been higher," warns @UNICEF spokesperson @1james_elder from Goma. pic.twitter.com/bbFIor0veV